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विस्फोटकों में रासायनिक विशाक्तताः परिमापन, प्रभाव मूल्यांकन एवं सुरक्षा

विस्फोटकों में रासायनिक विशाक्तताः परिमापन, प्रभाव मूल्यांकन एवं सुरक्षा

विस्फोटकों में रासायनिक विशाक्तताः परिमापन, प्रभाव मूल्यांकन एवं सुरक्षा

  • Name of Author : डाॅ त्रिभुवननाथ उपाध्याय
  • Pages: 144
  • ISBN : 978.81.86514.64.1
  • Price : मूल्यरू 950 $ 27 £ 25
  • Language :
    अंग्रेज़ी
  • Publisher : DESIDOC
  • Year of Publishing : 2019

पुस्तक के विशय में

उच्च ऊर्जा पदार्थो का उपयोग विस्फोटकों के रूप में किया जाता है। सेना और सिविल क्षेत्रों में इनका उपयोग समान रूप से होता है। इनका उत्पादन, भंडारण, देखरेख तथा उपयोग संकट पैदा करता है। इसलिए इन कार्यो में सावधानी बरतने की आवष्यकता होती है। इनसे सम्बधित साहित्य अंग्रेजी भाशा मंे उपलब्ध तो हंै परन्तु लोगांे की पहुॅंच से काफी दूर है। हिन्दी प्रेमी वर्ग के लोग तथा कार्मिक इनके खतरों से पूरी तरह से भिज्ञ नही होते हैं। यह स्वतः ही स्पश्ट है कि विस्फोटक रसायनों से सम्बधित सभी आवष्यक जानकारियाॅं हिन्दी भाशा में एक स्थान पर ही उपलब्ध होना सुरक्षा की दृश्टि से अधिक महत्वपूर्ण है। प्रस्तुत मोनोग्राफ ‘‘विस्फोटको मे रासायनिक विशाक्त्तताः परिमापन, प्रभाव मूल्यांकन एवं सुरक्षा’’ मंे विभिन्न उच्च ऊर्जा पदार्थो का विस्फोटकांे के रूप मंे उपयोग, उनकी विशाक्त्तता, विशाक्त्तता परिमापन, मानव षरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के मूल्यांकन, उनके द्वारा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के मूल्यांकन तथा इनसे बचाव के लिए उपयोग मे आने वाले विभिन्न सुरक्षात्मक यंत्रोपकरणों के विशय में विस्तार से वर्णन किया गया है। ‘‘विस्फोटकांे में रासायनिक विशाक्त्तता’’ संभवतः रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, दिल्ली द्वारा हिन्दी में प्रकाषित प्रथम मोनोग्राफ है। इसके लेखन का मूल उदेद्ष्य इस विशय के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है। यह मोनोग्राफ इस क्षेत्र में षोध कार्य करने वाले वैज्ञानिकों, लेखकों, विद्यार्थियांे तथा अन्य ज्ञान जिज्ञासुओं के लिए उपयोगी सिद्व होगा।

लेखक के विशय में

डाॅ त्रिभुवननाथ उपाध्याय ने, अवधेष प्रताप सिंह विष्वविद्यालय, रीवा से रसायन विज्ञान में एम एस सी तथा चैधरी चरण सिंह विष्वविद्यालय, मेरठ से डाॅक्टर आॅफ फ़िलाॅसफी की उपाधि प्राप्त की। जनवरी सन् 1971 से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन मे वैज्ञानिक के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए जुलाई 2009 में सेवानिवृत हुए। गत् 30 वर्शों में आपकी उपलब्धियाॅ हैंः हिन्दी में विज्ञान लेखन, देष के विभिन्न समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में सैकडों लेख प्रकाषन, विभिन्न अंतर्राश्ट्रीय षोध जर्नलों में महत्वपूर्ण षोधपत्र प्रकाषन, 50 से अधिक तकनीकी रिपोर्टों का प्रकाषन तथा आकाषवाणी दिल्ली से विज्ञान वार्ताआंे का प्रसारण। जैव रसायन, पोशण, पर्वतीय क्षेत्रांे में आवास तथा कार्य संपादन में सैनिकों को आने वाली समस्याओं और उनके समाधान तथा रासायनिक विशाक्त्तता मूल्यांकन आपके अनुसंधान के प्रिय विशय रहे। आपने प्रतिरक्षात्मक बचाव तंत्र में कमी से उत्पन्न रोगः एड्स, पर्वतीय पर्यावरण मंे मानव जीवन, ब्रह्मांड और टेलीस्कोप तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी आर डी ओ)ः एक स्वर्णिम यात्रा पुस्तकें प्रकाषित की हैं। आपको हिन्दी में विज्ञान लेखन हेतु गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘‘इन्दिरा गांधी’’ पुरस्कार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन मुख्यालय द्वारा पुरस्कार, डी आर डी ओ की विभिन्न प्रयोगषालाओं द्वारा पुरस्कृत तथा विज्ञान परिशद प्रयाग द्वारा षताब्दी सम्मान से सम्मानित किया गया।

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