डॉ. शैलेंद्र वी गाडे,
डॉ. शैलेंद्र वी गाडे,
उत्कृष्ट वैज्ञानिक एवं महानिदेशक - आयुध व कॉम्बैट इंजीनियरिंग प्रणालियां (एसीई)

डॉ. शैलेंद्र वी गाडे,उत्कृष्ट वैज्ञानिक / वैज्ञानिक 'एच' को 01 सितंबर 2022 से महानिदेशक, आयुध एवं युद्धक अभियांत्रिकी प्रणाली (एसीई) के रूप में नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे वीआरडीई, अहमदनगर के निदेशक थे। इन्होंने मार्च-87 में एआरडीई (डीआरडीओ) पुणे में कार्यभार संभाला और 33 साल तक कार्य किया।


डॉ. शैलेंद्र वी गड़े ने 1985 में एनआईटी रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई किया है। इन्होंने आईआईटी बॉम्बे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग (डिजाइन) में पोस्ट ग्रेजुएशन (एमटेक) और आईआईटी दिल्ली से उच्च वेग प्रभाव के क्षेत्र में पीएचडी किया है।


प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में डॉ. गडे ने एआरडीई में प्रमुख और डीआरडीओ की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक '155 मिमी x 52 कैलिबर एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस)' का नेतृत्व किया है। एटीएजीएस वास्तव में दुनिया की सबसे अच्छी आर्टिलरी गन प्रणाली है। इनके नेतृत्व में छह पूर्ण रूप से एकीकृत एटीएजीएस को सभी क्यूआर मापदंडों को प्राप्त करने का अनुभव हो चुका है। पीएफएफआर पोखरण और एसएफएफआर सिक्किम में प्रणालियों का मूल्यांकन सफलतापूर्वक किया गया है और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अग्नि शक्ति और गतिशीलता का प्रदर्शन किया है।


डॉ. गडे ने शुरू में भारत के पूरी तरह से स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम - पिनाका के लिए लॉन्चर सिस्टम के डिजाइन और विकास पर काम किया और इस प्रणाली को फलीभूत करने और इसे सेना में शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद इन्होंने एआरडीई में स्मॉल आर्म्स ग्रुप को संभाला और इंसास स्मॉल आर्म्स में सुधार के अलावा, जॉइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (जेवीपीसी), अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (यूबीजीएल), मल्टी-कैलिबर इंडिविजुअल वेपन सिस्टम (एमसीआईडब्लूएस), एयर बर्स्टिंग ग्रेनेड (एबीजी) को साकार करने की दिशा में टीम का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। डॉ. एस वी गडे ने व्यापक शोध किया और घातकता, निगरानी, उत्तरजीविता, सुरक्षा और संचार के क्षेत्रों में सैनिकों की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में 'एक प्रणाली के रूप में फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर (एफ-इंसास)' पर एक परियोजना प्रस्ताव तैयार किया। भारतीय सेना में एफ-इंसास की अवधारणा को लागू करने की दिशा में सेना लगातार काम कर रही है।


डॉ. गडे ने डीआरडीओ की परियोजना अभय के लिए इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (आईसीवी) के लिए आयुध प्रणाली विकसित करने में टीम का नेतृत्व किया है। अभय दो अलग-अलग गोला-बारूद को संभालने के लिए एक मुख्य गन सिस्टम और एक बहुत ही आधुनिक दो कॉलम फीड और इजेक्शन सिस्टम से लैस था। इन्होंने विभिन्न एफएसएपीडीएस विकसित करने और एमबीटी अर्जुन और अन्य मुख्य युद्धक टैंकों के अम्मन अभ्यास के लिए टीम का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


तकनीकी विशेषज्ञता: डॉ. गडे को छोटे हथियारों, आर्टिलरी और टैंक गन, मॉडलिंग और सिमुलेशन, मैन्युफैक्चरिंग प्रौद्योगिकियों, सिस्टम-एकीकरण, परीक्षण और मूल्यांकन, कम्पोजिट मैटेरियल्स, सभी इलेक्ट्रिक सर्वो नियंत्रण, इलेक्ट्रोहाइड्रोलिक नियंत्रण प्रणाली, काइनेमेटिक्स और तंत्र का संश्लेषण, मैटेरियल्स इंजीनियरिंग, गतिज ऊर्जा आयुध-संभार, प्रवेश तंत्र का संख्यात्मक अनुकरण, उच्च तनाव दर पर सामग्री का व्यवहार, सतह इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों आदि के डिजाइन में विशेषज्ञता प्राप्त है।


सम्मान और पुरस्कार: इन्होंने डीआरडीओ परफॉरमेंस एक्सीलेंस अवार्ड 2002 (पिनाका के लिए), 2006 में 'मॉडर्न सब मशीन कार्बाइन' के लिए टीम लीडर अवार्ड, 2013 में डीआरडीओ 'साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड' 2015 में एयर बर्स्टिंग ग्रेनेड के लिए टीम लीडर अवार्ड और 'आत्म निर्भरता में उत्कृष्टता के लिए अग्नि अवार्ड 2017' को प्राप्त किया है।


रिसर्च गाइड और पब्लिकेशन: प्रोजेक्ट गाइड के रूप में बीटेक और एमटेक छात्रों को गाइड किया। इनके पास राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में 40 से अधिक पेपर हैं। वह इन्फैंट्री और आर्टिलरी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में तकनीकी व्याख्यान देते रहे हैं।


व्यावसायिक निकायों की सदस्यता: वह कई प्रोफेशनल सोसाइटीज के सदस्य हैं।

Back to Top